राजीव भाई का परिचय
राजीव भाई की शहादत
Swadeshi के प्रखर प्रवक्ता, चिंतक, जुझारू, निर्भीक व सत्य को दृढ़ता से रखने के लिए पहचाने जाने वाले भाई राजीव दीक्षित जी 30 नवम्बर 2010 को भिलाई (छत्तीसगढ़) में शहीद हो गए | वे भारत स्वाभिमान और आज के स्वदेशी आंदोलन के पहले शहीद है| राजीव भाई भारत स्वाभिमान यात्रा के अंतर्गत छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे | यह परमात्मा का अजीब संयोग ही कहा जायेगा कि श्री राजीव जी का जन्म 30 नवम्बर 1967 को रात्रि 12:20 पर हुआ था और उनका देहावसान भी 30 नवम्बर 2010 को रात्रि 12 बजे के बाद ही हुआ। 1 दिसम्बर 2010 को अंतिम दर्शन के लिए उनको पतंजलि योगपीठ में रखा गया था| राजीव भाई के अनुज प्रदीप दीक्षित और परम पूज्य स्वामी रामदेव जी ने उन्हे मुखाग्नि दी| परमपूज्य Swami Ramdev ji महाराज व आचार्य बालकृष्ण जी ने राजीव भाई के निधन पर गहरा दुःख वयक्त किया है| सम्पूर्ण देश में 1 दिसम्बर को दोपहर 3 बजे श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया|
राजीव भाई का जीवन परिचय
स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता एवं भारत स्वाभिमान के राष्ट्रीय सचिव भाई राजीव दीक्षित जी का जन्म उप्र अलीगढ़ जनपद के अनरौली तहलीस के नाह गांव में तीस नवम्बर 1967 में हुआ । राजीव जी की इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा ग्रामीण परिवेश में हुई । राधेश्याम दीक्षित के घर में जन्मे श्री राजीव जी का अधिकांश समय वर्धा में व्यतीत हुआ। राजीव भाई के जीवन में सरलता और नम्रता थी। वे संयमी, सदाचारी ब्रह्मचारी तथा बलिदानी थे। वे निरन्तर साधना की जिन्दगी जीते थे। 1999 में राजीव जी के स्वदेशी व्याख्यानों की कैसेटों ने देश में धूम मचा दी थी। पिछले कुछ महीनों से वे लगातार गाँव गाँव शहर शहर घूमकर भारत के उत्थान के लिए और देश विरोधी ताकतों और भ्रष्टाचारियों को पराजित करने के लिए जन जाग्रति पैदा कर रहे थे.
राजीव भाई के बारे में
राजीव भाई पिछले 20 वर्षों से बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बहुराष्ट्रीय उपनिवेशवाद के खिलाफ तथा स्वदेशी की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे| वे भारत को पुर्नगुलामी से बचाना चाहते थे| वे उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ जिले के नाह गाँव में जन्मे थे| उनकी प्रारम्भिक व माध्यमिक शिक्षा फ़िरोज़ाबाद में हुई उसके बाद 1994 में उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहबाद गए| वे सेटेलाइट टेलेकम्युनिकेशन में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे लेकिन अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ कर देश को विदेशी कंपनियों की लूट से मुक्त कराने और भारत को स्वदेशी बनाने के आंदोलन में कूद पड़े| शुरू में भगतसिंह, उधमसिंह और चन्द्र शेखर आज़ाद जैसे महान क्रांतिकारियों से प्रभावित रहे| बाद में जब गांधीजी को पढ़ा तो उनसे भी प्रभावित हुए|
भारत को स्वदेशी बनाने में उनका योगदान
पिछले 20 वर्षों में राजीव भाई ने भारतीय इतिहास से जो कुछ सिखा उसके बारे में लोगों को जागृत किया| अंग्रेज़ भारत क्यों आए थे, उन्होने हमें गुलाम क्यों बनाया, अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता, हमारी शिक्षा और उद्योगों को क्यों नष्ट किया, और किस तरह नष्ट किया इस पर विस्तार से जानकारी दी ताकि हम पुनः गुलाम न बन सकें| इन 20 वर्षों में राजीव भाई ने लगभग 15000 से अधिक व्याख्यान दिये जिनमे से कुछ हमारे पास उपलब्ध है| आज भारत में 5000 से अधिक विदेशी कंपनियाँ व्यापार करके हमें लूट रही है, उनके खिलाफ राजीव भाई ने स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की| देश में सबसे पहली स्वदेशी-विदेशी की सूची तैयार करके स्वदेशी अपनाने का आग्रह प्रस्तुत किया| 1991 में डंकल प्रस्तावों के खिलाफ घूम-घूम कर जन-जागृति की और रेलियाँ निकाली| कोका कोला और पेप्सी जैसे पेयों के खिलाफ अभियान चलाया और कानूनी कार्यवाही की|
1991-92 में राजस्थान के अलवर जिले में केडीया कंपनी के शराब कारखानों को बंद करवाने में भूमिका निभाई| 1995-96 में टिहरी बांध के खिलाफ ऐतिहासिक मोर्चा और संघर्ष किया जहां भयंकर लाठी चार्ज में काफी चोटें आई| उसके बाद 1997 में सेवाग्राम आश्रम, वर्धा में प्रख्यात गांधीवादी इतिहासकार श्री धर्मपाल जी के सानिध्य में अंग्रेजों के समय के ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन करके देश को जागृत करने का काम किया| पिछले 10 वर्षों से परमपुज्य स्वामी रामदेव जी के संपर्क में रहने के बाद 9 जनवरी 2009 को परमपुज्य स्वामी रामदेव जी के नेतृत्व में भारत स्वाभिमान का जिम्मा अपने कंधों पर ले जाते हुए 30 नवम्बर 2010 को छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर में भारत स्वाभिमान की रणभूमि में शहीद हुए|
राजीव भाई के नाम ‘ राजीव भवन ’
वे सच्चे अर्थों में गांधीवादी थे. उन्होंने मरते दम तक बिना अहंकार, स्वार्थ और स्व लाभ के देश और इसके निवासियों कि सेवा करते हुए अपना जीवन अर्पण कर दिया. उनके अंतिम संस्कार के समय परम पूजनीय स्वामी रामदेव जी ने घोषणा की है कि उनके जन्म दिन ३० नवम्बर को स्वदेशी दिवस के रूप में मनाया जाएगा. साथ ही पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में बन रहे भारत स्वाभिमान भवन का नाम “राजीव भवन” रखा जाएगा.
राजीव भाई को सच्ची श्रद्धांजलि
हालांकि वे अब हमारे बीच नहीं रहे, परन्तु उनका जीवन ही हमारे लिए प्रेरणा बनकर राह दिखाता रहेगा । हमें उनके द्वारा देखे गए स्वप्न के अनुरूप भारत का निर्माण करना है । इसके लिए हमें भारत स्वाभिमान आन्दोलन को और तीव्रता देनी होगी । आज हम संकल्प ले की विदेशी वस्तुओ को त्याग कर स्वदेशी वस्तुओ और स्वदेशी कंपनियो को बढावा देगे । यही हमारी भाई राजीव दीक्षित जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी
http://www.rajivdixit.in/About.aspx
Dhanbad me darshan kiya aur pravachan suna tha san 2010 me hi |
aabhaar ||
AAP KUSHKISMT HEN JO RAJIV BHAI KE PARVACHAN SUNE EK SACHCHE DESH BHAGAT KI VANI SUNI